Sunday, March 29, 2020

ई-टेंडर घोटाले अप्रैल 2018 में रस्तोगी ने ही की थी टेंडरों में टेंपरिंग की शिकायत गड़बड़ी की जांच के लिए भेजे हैं 80 हजार करोड़ के टेंडर

भोपाल. सरकार बदलते ही मध्यप्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले की जांच अटक गई है। अप्रैल 2018 में ई-टेंडर में टेंपरिंग उजागर करने पर हटाए गए मनीष रस्तोगी सीएम के प्रमुख सचिव हो गए हैं। ऐसे में जांच एजेंसी के अफसर अभी सिर्फ सरकार का इशारा मिलने का इंतजार कर रहे हैं। 

कमलनाथ सरकार आते ही तीन मामलों में एफआईआर और चार्जशीट हुई थी दाखिल

अफसर आधिकारिक तौर पर तो कुछ  नहीं कह रहे हैं लेकिन यह जरूर मानते हैं कि फिलहाल तो जांच पर कोरोना इफेक्ट हावी है। कोरोना का संक्रमण कम होते ही जांच की दिशा और गति तय होगी। अफसर इसलिए भी असमंजस में है क्योंकि अब तक की जांच में कई प्रभावशाली नेता और अफसर भी घेरे में हैं। यही वजह है कि अब तक नए अफसरों ने कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) से 48 टेंडरों की रिपोर्ट पर कोई फॉलोअप नहीं लिया है। सीईआरटी को विभिन्न सरकारी एजेंसियों के करीब 80 हजार करोड़ रुपए के टेंडर टेंपरिंग की जांच के लिए भेजे गए हैं। इसमें 6 टेंडर तो वो हैं, जिनमें प्रथम दृष्टया टेंपरिंग के प्रमाण मिल गए हैं लेकिन आधिकारिक रिपोर्ट का इंतजार है।

खास बात यह है कि ई-टेंडर घोटाला उजागर होने के बाद शिवराज सरकार ने ही यह मामला जांच के लिए आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग (ईओडब्ल्यू) को जांच के लिए दिया था। चुनाव बाद जब कमलनाथ सरकार की ताजपोशी हुई तो ईओडब्ल्यू ने जांच में फुर्ती दिखाई। एक के बाद एक तीन मामलों में एफआईआर और चार्जशीट हुई। जांच का दायरा बढ़ता गया और जांच एजेंसी ने पहले 9 और बाद में 42 टेंडरों से जुड़ा डाटा जांच के लिए कम्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को जांच के लिए भेजा।


फरवरी में सीईआरटी को नए सिरे से उपलब्ध कराए थे डेटा

तीन की रिपोर्ट में टेंपरिंग प्रमाणित होने पर चार्जशीट हो गई लेकिन बाकी मामले पेंडिंग ही रहे। नेता और अफसरों की भूमिका की भी जांच हुई। फरवरी 2020 को ईओडब्ल्यू के तत्कालीन अफसरों ने रिपोर्ट मिलने में हो रही देरी पर सीईआरटी के अफसरों को भोपाल बुलाकर उन्हें नए सिरे से डेटा उपलब्ध करवाया और जल्द से जल्द 6 टेंडरों की रिपोर्ट मांगी।  इसी बीच मार्च 2020 में नई सरकार के आते ही जांच अटक गई।

मैं तो रिलीव हो चुका हूं : बनर्जी अभी समझ रहा हूं : टंडन
कमलनाथ सरकार के जाते ही ईओडब्ल्यू डीजी रहे सुशोभन बनर्जी और एसपी अरुण मिश्रा के तबादले के आदेश जारी हो गए थे। नई सरकार ने एडीजी राजीव टंडन को ईओडब्लयू की कमान सौंपी है। बनर्जी कहते हैं कि अब यह उनका डोमेन नहीं है। ईओडब्ल्यू के नए डीजी राजीव टंडन कहते हैं कि अभी मैं चीजों को समझ रहा हूं। दफ्तर भी बंद है। हालात सामान्य होते ही सीईआरटी से बात करेंगे।


अप्रैल 2018 में रस्तोगी ने ही की थी टेंडरों में टेंपरिंग की शिकायत
मध्यप्रदेश के तत्कालीन आईटी सचिव मनीष रस्तोगी ने ही सबसे पहले टेंडरों में टेंपरिंग की शिकायत सरकार से की थी। इसके बाद जलसंसाधन विभाग सहित तीन टेंडर सरकार ने निरस्त कर दिए। हालांकि सरकार ने रस्तोगी को आईटी विभाग से हटा दिया। जब ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की तो रस्तोगी ने जांच अधिकारियों को दिए बयान में टेंडर में टेंपरिंग की पूरी प्रक्रिया भी समझाई थी।



Source :  Danik Bhaskar 

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Source Patrika  पंद्रह महीने में किसी भाजपा नेता पर शिकंजा नहीं कस पाई कांग्रेस सरकार, अब जांचों पर लगेगा ग्रहण





Saturday, February 29, 2020

केंद्रीय आयकर अफसरों की टीम द्वारा छत्तीसगढ़ में की गई छापामारी 100 कराेड़ कैश जब्त

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छत्तीसगढ़ : सीएम की उपसचिव के ठिकानों से 100 कराेड़ कैश जब्त

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया, आईएएस अनिल टुटेजा और विवेक ढांड शामिल हैं।


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Tuesday, February 11, 2020

540 करोड़ का "टॉयलेट घोटाला", पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष के घेरे में

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"शिवराज ने जबरजस्त सफ़ाई कराई है। 540 करोड़ रुपए की लागत के 4.5 लाख टॉयलेट सिर्फ कागजों पर मिले ज़मीन पर उनका कोई नामों निशाना नही,माननीय प्रधानमंत्री जी! इस जबरजस्त सफ़ाई के लिए आप शिवराज सिंह जी को स्वच्छ्ता अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बना सकते है "  जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) ने ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा । 


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